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आम आदमी पार्टी के अभ्युदय के साथ ही भारतीय जनमानस के समक्ष एक और प्रश्न खड़ा हो गया है कि क्या कोई राजनैतिक दल बगैर आम आदमी कि सोच बदले व्यवस्था को ईमानदार बना सकता है ! सामान्यतया यथार्थ के धरातल पर ऐसा सम्भव नहीं लगता है कि जब तक पूरे समाज के नैतिक स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास न किया जाय तब तक व्यवस्था में कोई बड़ा परिवर्तन किया जा सकता है ! हम बाते चाहे जितनी बड़ी बड़ी कर ले लेकिन यथार्थ यही है कि हमारा समाज घोर नैतिक पतन की समस्या से जूझ रहा है और यह समस्या हर स्तर पर देखी जा सकती है ! जब तक संपूर्ण समाज के नैतिक उत्थान के लिए प्रयास नहीं किये जायेंगे तबतक कोई बड़ा व्यवस्था सम्बन्धी परिवर्तन सम्भव नहीं है ! पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार आप को जनसमर्थन मिला है उससे ऐसा लगता है हमारा समाज यह मानने को भी तैयार नहीं है कि व्यवस्था को ईमानदार बनाने के लिए हमे भी ईमानदार बनना होगा सारी ईमानदारी का ठेका तथाकथित ईमानदारों की पार्टी को सौप कर ईमानदार सरकार का सपना देखना सपना ही साबित होगा ! वहाँ के ईमानदार मुख्यमंत्री ने इसकी बानगी दिखाना भी शुरू कर दिया है ! कल तक जिन लोगो के खिलाफ सबूतो का पिटारा लेकर घूम रहे थे आज उन्ही के खिलाफ करवाई करने के लिए सबूतो का आभाव बता रहे है !
समाज के नैतिक एवं चरित्रिक मूल्यो के विकास का दायित्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का है और यह विभाग किस अकर्मणडता और दिशाहीनता का शिकार है यह बताने की आवश्यकता नहीं है ! देश की स्वतंत्रता के बाद शायद ही कभी देश के नागरिको के नैतिक मूल्यो एवं आदर्शो की चिंता हमारी सरकारो द्वारा की गयी बल्कि समय समय पर ऐसे उदाहरण जरूर प्रस्तुत किये गए जो समाज के नैतिक पतन का कारण बने !
जिन नैतिक मूल्यो और आदर्शो के सहारे स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया गया था उसको आगे बढ़ाने के स्थान पर हमारे राजनेताओ ने स्वाधीनता के पश्चात यह दायित्व मानव संसाधन विकास मंत्रालय पर डाल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली ! परिणाम हमारे सामने है जिस समाज में प्रत्येक व्यक्ति को ईमानदार मान कर उससे ईमानदारी पूर्वक कार्य करने की अपेक्षा की जाती थी उसी समाज में आज केवल ईमानदारी को मुद्दा बनाकर न केवल चुनाव लड़ा जा रहा है बल्कि जीता भी जा रहा है ! कोई यह भी नहीं जनता है की इन ईमानदारों के पास देश की अन्य प्रमुख समस्याओ के लिये क्या समाधान या नीतियां है ! सरकार चलाने के लिए ईमानदारी के साथ साथ नीतियो की भी आवश्यकता होती है !
निश्चित रूप से किसी भी व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिये ईमानदारी एक आवश्यक तत्व होता है l जिसकी अपेक्षा प्रत्येक व्यवस्थापक या व्यक्ति से की जाती है ! किन्तु यह भी सच है की जब तक सामाजिक मूल्यो के स्तर में सुधार का प्रयास नहीं किया जायेगा तबतक व्यवस्था में सुधार सम्भव नहीं है क्योकि समाज का आम आदमी ही व्यवस्था का हिस्सा बनता है !
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